आज से 15-20 साल पहले लोग पूछा करते थे कि हम मोटे कैसे हो सकते हैं...? जबकि आज लोग पूछते हैं कि हम पतले कैसे हो सकते हैं....?
अब में और तब में बेशक बहुत अंतर आ गया है- हमारा रहन सहन पूरी तरह से बदल गया है- हमारी खाने पीने की आदत बदल गयी है औऱ बदल गयी है हमारी जीवनशैली-
हालांकि बाजार में इन दिनों मोटापा कम करने की हजारों दवा मौजूद हैं इनमें से आधी से ज्यादा तो सिर्फ खट्टे-मीठे चूर्ण हैं-जिन्हें खाने के बाद पता चलता है कि हम ठगे गए है-
खैर ये तो बाजार की बात है जिसकी ज्यादा डिमांड होती है वो बाजार में बेचा जाता है-मोटापा कम करने के लिए हम अक्सर दवाओं की ओर भागते हैं-लेकिन हम कभी भी अपनी दिनचर्या को ठीक करने की बात नहीं सोचते हैं-
fast food and obesity-फास्ट फूड और मोटापा-
एक समय था जब लोग सुबह पार्कों में जाकर व्यायाम किया करते थे- लोगों का खानपान बेहद संतुलित था- लेकिन-आज चाइनिंग फास्ट फूड और साँस ने ना सिर्फ बच्चों की बल्कि बड़ों के भी पेट खराब किए हुए हैं- इसमें बाजार में मिलने वाला लाल कलर का साँस जो कि असल में सड़े कद्दू का होता है औऱ सोया साँस जो काले रंग का होता है और चाउमीन में डला होता है सेहत के लिए बेहद खतरनाक है- लेकिन हम इन्हें लगातार खा रहे हैं औऱ पेट की बैंड बजा रहे हैं बस जिह्वा का टेस्ट नहीं बिगडना चाहिए भले पेट बिगड जाए बीमारियाँ लग जाए- इतना ही नहीं हम अपने बच्चों को भी यही खिला रहे है क्यों आप अपने ही बच्चों के दुश्मन बने है-
गलत ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान और रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो पेट बाहर निकल आता है आपकी कमर मोटी हो जाती है और कूल्हे भारी हो जाते हैं इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है जबड़ों के नीचे गरदन मोटी होना और तोंद बढ़ना मोटापे के मोटे लक्षण हैं-
मोटापे से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ disease(व्याधियाँ) पैदा हो जाती हैं लिहाजा ये सच है कि मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता है-
बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं- हर समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता है-
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