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Monday, 30 May 2016
Friday, 23 October 2015
कद बढ़ाने के आसान तरीके
कद बढ़ाने के आसान तरीके
कद बढ़ाने के लिये सूखी नागौरी, अश्वगंधा की जड़ को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में खांड मिलाकर किसी टाईट ढक्कन वाली कांच की शीशी में रखें। इसे रात सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध के साथ लें। इससे दुबले व्यक्ति भी मोटे हो जायेंगे। कम कद वाले लोग लंम्बे हो सकते हैं। इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण का सेवन करने से कमजोर व्यक्ति अपने अंदर स्फूर्ति महसूस करने लगता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लेते रहें। इस चूर्ण को शीतकाल में लेने से अधिक लाभ मिलता है।सावधानी:
इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें और जिन्हें आंव की शिकायत हो, तो अश्वगंधा न लें।
किसी कारणवश आप ये चूर्ण नहीं ले पा रहे हैं, तो सुबह व्यायाम करें। व्यायाम में ताड़ासन करना सर्वोत्तम है।
ताड़ासन– दोनों हाथ उपर करके सीधे खड़े हो जायें, दीर्घ श्वास लें, हाथ ऊपर धीरे-धीरे उठाते जायें और साथ-साथ पैर की एडियां भी उठती रहे। पूरी एड़ी उठाने के बाद शरीर को पूरी तरह से तान दें और दीर्घ श्वास लें। इससे फेफडे़ फैलते हैं और स्वच्छ वायु मिलती भी है। ताड़ासन करने से स्नायु सक्रिय होकर विस्तृत होते हैं। इसी कारण यह कद बढ़ाने में सहायक साबित होता है।
Wednesday, 2 September 2015
कुछ उपाय जो वजन घटाएं
कुछ उपाय जो वजन घटाएं
पूरी नींद यानी पूरी सेहत
पर्याप्त नींद और तनाव का गहरा ताल्लुक है। कई शोध नींद और वजन के संबंधों के बारे में इशारा करते हैं। इनमें पाया गया है कि बहुत कम या बहुत अधिक नींद से वजन बढ़ने लगता है। अच्छी नींद लेने वाला व्यक्ति न सिर्फ तनाव मुक्त रहता है बल्कि मोटापा कम करने में भी मदद मिलती है।
वॉकिंग- उठाइए सेहत के कदम
पैदल चलने से शरीर की मांसपेशियों की अच्छी कसरत हो जाती है। कड़ी कसरत के 90 फीसदी फायदे मिल जाते हैं। अगर आप जिम नहीं जाना चाहते हैं, और भारी-भरकम वजन उठाना आपको पसंद नहीं, तो आप पैदल चलकर भी कसरत के फायदे पा सकते हैं। एक मील यानी करीब 1.6 किलोमीटर पैदल चलने से 100 कैलोरी तक बर्न होती हैं। हफ्ते में अगर तीन दिन दो-दो मील की वॉक करें तो हर तीसरे हफ्ते आधा किलो वजन कम हो सकता है।
जल है तो जीवन है
पानी हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत मददगार होता है। जिससे आपका मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है और आपका वजन कम होने लगता है। इसलिए दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरुर पियें। कई शोधों में माना गया है कि दिन में आठ से नौ गिलास पानी से 200 से 250 कैलोरी आप बर्न कर सकते है।
चबा चबाकर खाएं
खाना धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि खाना देर तक खाएंगे। कम खाना खा पाएंगे और इससे वजन भी नहीं बढ़ेगा। यानी बहुत देर तक लगातार खाने से आपकी भूख मर जाएगी। चबाकर खाने से खाना जल्दी पच जाता है और आपको बहुत ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती।
फलों का रस
फलों के रस में यदि ऊपर से चीनी न मिलाई गई हो, तो वजन घटाने का यह बेहद कारगर उपाय होता है। सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थों से जहां वजन बढ़ता है वही दूध, पानी, नारियल पानी, जूस इत्यादि वजन कम करने में लाभकारी होते हैं।
सेब जिसने खाया, वजन घटाया
सेब में कैलोरी बहुत कम होती है। इसमें मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर एलडीएल कोलेस्ट्रोल या संतृप्त वसा के स्तर को नियंत्रित करता है। दिन में दो बार सेब का सेवन करने वाले लोग अपना 16 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल कम कर सकते हैं जो वजन घटाने में सहायक होता है।
पूरी नींद यानी पूरी सेहत
पर्याप्त नींद और तनाव का गहरा ताल्लुक है। कई शोध नींद और वजन के संबंधों के बारे में इशारा करते हैं। इनमें पाया गया है कि बहुत कम या बहुत अधिक नींद से वजन बढ़ने लगता है। अच्छी नींद लेने वाला व्यक्ति न सिर्फ तनाव मुक्त रहता है बल्कि मोटापा कम करने में भी मदद मिलती है।
वॉकिंग- उठाइए सेहत के कदम
पैदल चलने से शरीर की मांसपेशियों की अच्छी कसरत हो जाती है। कड़ी कसरत के 90 फीसदी फायदे मिल जाते हैं। अगर आप जिम नहीं जाना चाहते हैं, और भारी-भरकम वजन उठाना आपको पसंद नहीं, तो आप पैदल चलकर भी कसरत के फायदे पा सकते हैं। एक मील यानी करीब 1.6 किलोमीटर पैदल चलने से 100 कैलोरी तक बर्न होती हैं। हफ्ते में अगर तीन दिन दो-दो मील की वॉक करें तो हर तीसरे हफ्ते आधा किलो वजन कम हो सकता है।
जल है तो जीवन है
पानी हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत मददगार होता है। जिससे आपका मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है और आपका वजन कम होने लगता है। इसलिए दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी जरुर पियें। कई शोधों में माना गया है कि दिन में आठ से नौ गिलास पानी से 200 से 250 कैलोरी आप बर्न कर सकते है।
चबा चबाकर खाएं
खाना धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि खाना देर तक खाएंगे। कम खाना खा पाएंगे और इससे वजन भी नहीं बढ़ेगा। यानी बहुत देर तक लगातार खाने से आपकी भूख मर जाएगी। चबाकर खाने से खाना जल्दी पच जाता है और आपको बहुत ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती।
फलों का रस
फलों के रस में यदि ऊपर से चीनी न मिलाई गई हो, तो वजन घटाने का यह बेहद कारगर उपाय होता है। सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थों से जहां वजन बढ़ता है वही दूध, पानी, नारियल पानी, जूस इत्यादि वजन कम करने में लाभकारी होते हैं।
सेब जिसने खाया, वजन घटाया
सेब में कैलोरी बहुत कम होती है। इसमें मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर एलडीएल कोलेस्ट्रोल या संतृप्त वसा के स्तर को नियंत्रित करता है। दिन में दो बार सेब का सेवन करने वाले लोग अपना 16 प्रतिशत कोलेस्ट्रोल कम कर सकते हैं जो वजन घटाने में सहायक होता है।
Tuesday, 1 September 2015
Monday, 31 August 2015
Wednesday, 26 August 2015
सांस फूलना
सांस फूलना
1.जिन लोगों को सांस फूलने की शिकायत हो,वे दही की कढ़ी में देसी घी डालकर खाएं। जल्द आराम मिलेगा।
1.जिन लोगों को सांस फूलने की शिकायत हो,वे दही की कढ़ी में देसी घी डालकर खाएं। जल्द आराम मिलेगा।
आंवले के औषधीय प्रयोग
आंवले के औषधीय प्रयोग
जो मनुष्य आंवले का रस १० से १५ मि.ली., शहद १० से १५ ग्राम, मिश्री १० से
१५ ग्रामऔर घी २० ग्राम मिलाकर चाटता है तथा पथ्य भोजन करता है, उससे
वृद्धावस्था दूररहती है l इस प्रयोग से शारीर में गर्मी, रक्त, चमड़ी तथा
अम्लपित्त के रोग दूर होते हैं और शक्ति मिलती है l
आंवला घृतकुमारी के संग पीने से पित्त का नाश होता है l
१५-२० मि.ली. आंवलों का रस तथा एक चम्मच शहद मिलाकर चटाने से आँखों की रोशनी में वृद्धि होती है l
सर्दी या कफ्फ की तकलीफ हो तो आंवले के १५-२० मि.ली. रस या १ ग्राम (पाँव चम्मच) चूर्ण में १ ग्राम हल्दी मिलाकर लें l
१-२ आंवले और १०-२० ग्राम काले तिल रोज़ सुबह चबाकर खाने से स्मरणशक्ति तेज़ होजाती है l
आंवले का रस और शुद्ध शहद सामान मात्रा में लेकर मिला लें l इस मिश्रण को
प्रतिदिनरात के समय आँखों में आंजने से आँखों का धुंधलापन कम हो जाता है l
इस मिश्रण को पीने से भी फायदा होता है l
मैले दांत चमकाने हों तो दांतों पर आंवले के रस से मालिश करें l आंवले के
रस मेंसरसों का तेल मिलाकर मसूड़ों पर हलकी मालिश करने से भी बहुत फायदा
होता है l
२५० ग्राम आंवले के चूर्ण में ५० ग्राम लहसुन पीसकर यह मिश्रण शहद में
डुबाकर पंद्रहदिन तक धूप में रखें l उसके पश्चात् हर रोज़ एक चम्मच मिश्रण
खा लें l यह एक उत्तमह्रदय-पोषक है l यह प्रयोग ह्रदय को मज़बूत बनाने वाला
एक सरल इलाज है l
रक्तचाप, ह्रदय का बढ़ना, मानसिक तनाव (डिप्रेशन), अनिद्रा जैसे रोगों में
२० ग्रामगाजर के रस के साथ ४० ग्राम आंवले का रस लेना चाहिए l
आधा भोजन करने के पश्चात् हरे आंवलों का ३० ग्राम रस आधा ग्लास पानी
मेंमिलाकर पी लें l फिर शेष आधा भोजन करें l यह प्रयोग २१ दिन तक करें l
इससे ह्रदय वमस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा स्वास्थ्य सुधरता है l
सूखे आंवले तथा सुखा धनिया सामान मात्रा में लेकर रात को कुल्लढ में
इक्कठे भिगो दें lसुबह छान के मिश्री मिलाकर पियें l इससे पेशाब की जलन दूर
होती है तथा मूत्ररोगोंमें लाभ होता है l
दो चम्मच कच्चे आंवले का रस और दो चम्मच कच्ची हल्दी का रस शहद के साथ
लेने से प्रमेह मिट जाता है l कुछ दिनों तक प्रयोग करने से मधुमेह नियंत्रण
में आजाता है तथा सभी तरह के मूत्र-विकारों से छुटकारा मिल जाता है l
आंवले का चूर्ण गौमूत्र में घोंटकर शरीर पर लगाने से तुरंत पित्तियां दब जाती हैं l
वजन घटाए, सेहत बनाए टमाटर
टमाटर
वजन घटाए, सेहत बनाए टमाटर(टमाटर सेवफल व संतरा दोनों के गुणों से युक्त होता है।)
विभा मित्तल
- पूरे शरीर को ऊर्जा देता और लीवर संबंधी विकारों को दूर करता है।
- इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है, जिस कारण एक उत्तम भोजन माना जाता है।
- इसके लगातार सेवन से जिगर बेहतर ढंग से काम करता है और गैस की शिकायत भी दूर होती है।
- अगर आपको डायबिटीज है तो टमाटर का नियमित सेवन करें। यह पेशाब में चीनी की मात्र पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावशाली है।
- एक मध्यम आकार के टमाटर में केवल 12 कैलोरीज होती है, इसलिए इसे वजन कम करने के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है। वजन कम करना चाहते हैं तो सुबह-शाम एक गिलास टमाटर का रस पीएं, लाभ होगा।
- टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में केवल दो टमाटर संपूर्ण भोजन के बराबर माने जाते हैं।
- पके लाल टमाटर खाने वालों को कैंसर रोग की आशंका कम हो जाती है।
- इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- टमाटर को काटकर उस पर काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर खाएं। भूख बढ़ेगी, आंतों में मौजूद कीड़े मरेंगे।
- बच्चों को सूखा रोग होने पर आधा गिलास टमाटर के रस का सेवन कराने से फायदा होता है।
-
गठिया रोग हो तो
एक गिलास टमाटर के रस की सोंठ तैयार करें व एक चम्मच अजवायन का चूर्ण
मिलाकर सुबह-शाम पीएं, लाभ होगा।-हिंदुस्तान, 16-11-11
स्वास्थ्य रक्षक एवं पुष्टिकारक फल टमाटरटमाटर केवल एक पौष्टिक शुद्ध आहार ही नहीं, बल्कि एक गुणकारी औषधि भी है। टमाटर में आहारोपयोगी पोषक तत्व काफी मात्रा में पाए जाने के कारण यह हरी सागसब्जियों में एवं फल के रूप में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। साग के अलावा टमाटर का उपयोग अचार, सूप, सैंडविच तथा सॉस आदि बनाने में भी होता है।
टमाटर की प्रकृति न गर्म है, न ठंडी। टमाटर रस और विपाक में खट्टा, रूचिकर, अग्नि प्रदीपक, पाचक, सारक और रक्तशोधक होता है। अग्निमाध, मेदवृद्धि, उदर शूल तथा रक्त विकार में यह हितकारी है। टमाटर वायुनाशक है। टमाटर में लौह, चूना, पोटाश, लवण, मैग्नीज आदि अन्य सब्जियों तथा फलों की अपेक्षा अधिक पाए जाते हैं। ऑक्सेलिक एसिड, मैलिक एसिड तथा साइट्रिक एसिड भी टमाटर में पाए जाते हैं। छह प्रकार के विटामिनों में पांच विटामिन टमाटर में होते हैं। पके टमाटर में विटामिन ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में होते हैं।औषधीय प्रयोग- कब्ज : प्रतिदिन 50 ग्राम कच्चा टमाटर खाने से कब्ज दूर होती है। पके टमाटर का आधा कप सूप पीने से पुरानी कब्ज दूर होती है।
- पाचन शक्तिवर्द्धक : टमाटर के टुक़डे कर उन पर सौंठ व सेंधा नमक का चूर्ण बुरककर खाने से पाचन शक्ति ब़ढती है, अग्निमाघ, अफारा व अरूचि दूर होती है।
- मुंह के छाले : टमाटर का रस पानी में मिलाकर कुल्ले करने से छाले मिट जाते हैं।
- बुखार : बुखार में रक्त में विजातीय द्रव्य ब़ढ जाते हैं। टमाटर का सूप इन तत्वों को निकाल देता है। इससे रोगी को आराम मिलता है, लेकिन यह केवल सामान्य बुखार में ही देना चाहिए।
- कृमिनाशक : टमाटर के रस में हींग का बघार लगाकर पीने से कृमि रोग में फायदा होता है। खाली पेट लाल टमाटर काली मिर्च व नमक मिलाकर खाने से भी कृमि मर जाते हैं।
- रतौंधी : सुबहशाम टमाटर का रस पीने से अल्पदृष्टि में लाभ होता है तथा आंखों की रोशनी ब़ढती है।
- शिशु शक्तिवर्द्धक : शिशु की माताएं टमाटर खाएं तथा शिशु को टमाटर का ताजा रस दिन में 2-3 बार पिलाएं। इससे शिशुओं का शारीरिक विकास अच्छा होता है, पाचन शक्ति अच्छी रहती है तथा दांत आने में कठिनाई नहीं होती।
- खुजली : टमाटर का रस एक चम्मच और नारियल का तेल दो चम्मच मिलाकर शरीर पर मालिश करने से तथा कुछ समय बाद गुनगुने पानी से स्नान करने से खुजली मिटती है।
- रक्त विकार : पके टमाटर के ताजे रस में पानी और थ़ोडा सा शहद मिलाकर पीने से रक्त विकार तथा रक्त पित्त दूर होता है।
- शक्तिवर्द्धक : प्रातः काल नाश्ते में एक गिलास टमाटर के रस में थ़ोडा सा शहद मिलाकर पीने से चेहरा टमाटर की तरह सुर्ख निखर जाता है। टमाटर यकृत, फेफ़डों को शक्ति देता है, स्मरण शक्ति बढाता है तथा रक्तचाप घटाता है।
मोटापा घटाने केलिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खेँ
मोटापा घटाने केलिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खेँ
मोटापे को लेकरकई लोग परेशानरहतें हैं और इससेछुटकारा पाना चाहतेंहैं ! कुछ उपाय ढूंढकर उनको प्रयोग में लातें हैं लेकिन कई बार ऐसा देखा गया हैकि हर उपाय हरआदमी के लिएफायदेमंदनहीं हो पाता हैजिसके कारणउनको निराश होनेकि आवश्यकतानहीं है औरउनको दुसरा उपायअपनाना चाहिए !आज में आपके सामनें मोटापे को दूर भगाने के लिए कुछ सामान्यआयुर्वेदिक नुस्खेँ लेकर आया हूँ! जिनका प्रयोग करके फायदा उठाया जा सकता है !1. मूली के रस मेंथोडा नमक और निम्बूका रस मिलाकरनियमित रूप से पीने से मोटापा कमहो जाता है और शरीरसुडौल हो जाता है !
2. गेहूं, चावल, बाजराऔर साबुत मूंगको समान मात्रा मेंलेकर सेककरइसका दलियाबना लें !इस दलिये में अजवायन 20 ग्राम तथा सफ़ेदतिल 50 ग्रामभी मिला दें ! 50 ग्रामदलिये को 400मि.ली.पानी मेंपकाएं !स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें !नियमित रूप से एकमहीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनकलाभ होता है !
3. अश्वगंधा के एकपत्ते को हाथ सेमसलकर गोली बनाकर प्रतिदिनसुबह,दोपहर,शामको भोजन से एकघंटा पहलेया खाली पेट जल केसाथ निगल लें ! एकसप्ताह के नियमितसेवन के साथफल, सब्जियों, दूध, छाछ और जूस पर रहते हुए कईकिलो वजन कमकिया जा सकता है !
4. आहार में गेहूं केआटे और मैदा से बनेसभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें ! इसमें रोटी भीशामिल है !अपना पेट पहले के4-6 दिन तक केवलदाल, सब्जियां औरमौसमी फल खाकरही भरें ! दालों में आपसिर्फ छिलकेवाली मूंग कि दाल, अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडदकि दाल नहीं !सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं !गाजर, मूली, ककड़ी,पालक, पतागोभी, पके टमाटर औरहरी मिर्च लेकरसलाद बना लें ! सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च, सैंधा नमक, जीरा बुरककर औरनिम्बू निचोड़ करखाएं ! बस गेहूंकि बनी रोटी छोडकरदाल, सब्जी, सलाद और एक गिलास छाछका भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए ! इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं ! इस प्रकार 6-7 दिन तक खाते रहें !इसके बाद गेहूंकि बनी रोटी किजगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें !
5 किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें !6-7 दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में औरआधी मात्रा मेंदाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें ! एकमहीने बाद गेहूंकि रोटी खाना शुरूकर सकते हैं लेकिनशुरुआत एक रोटी सेकरते हुए धीरे धीरेबढाते जाएँ ! भादों केमहीने में छाछका प्रयोगनहीं किया जाता हैइसलिए इस महीनें मेंछाछ का प्रयोगनां करें !!
5. एरण्ड की जड़का काढ़ा बनाकरउसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमितसेवन करने सेमोटापा दूरहोता है !!
6. चित्रक कि जड़का चूर्ण एक ग्रामकी मात्रा में शहद केसाथ सुबह शामनियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है !!
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचारहम
जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की
प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए
बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में
निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के
बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिडिटी या
एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है ।
एसिडिटी होने के कारण
एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवनकरना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।
एसिडिटी के लक्षण
*.पेट में जलन का एहसास
*.सीने में जलन
*.मतली का एहसास
*.डीसपेपसिया
*.डकार आना
*.खाने पीने में कम दिलचस्पी
*.पेट में जलन का एहसास
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
*.अदरक का रस:नींबू और शहद में अदरक का रसमिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
*.अश्वगंधा:भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
*.बबूना:यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
*.चन्दन:एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
*.चिरायता:चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
*.इलायची:सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
*.हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
*.लहसुन:पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
*.मेथी:मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं।
*.सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।
एसिडिटी के घरेलू उपचार:
*.विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
*.व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
*.खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
*.बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करनेमें मदद करता है।
*.खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
*.पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
*.नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
*.तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
*.नारियल पानी का सेवन अधिक करें
एसिडिटी होने के कारण
एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवनकरना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।
एसिडिटी के लक्षण
*.पेट में जलन का एहसास
*.सीने में जलन
*.मतली का एहसास
*.डीसपेपसिया
*.डकार आना
*.खाने पीने में कम दिलचस्पी
*.पेट में जलन का एहसास
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
*.अदरक का रस:नींबू और शहद में अदरक का रसमिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
*.अश्वगंधा:भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
*.बबूना:यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
*.चन्दन:एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
*.चिरायता:चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
*.इलायची:सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
*.हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
*.लहसुन:पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
*.मेथी:मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं।
*.सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।
एसिडिटी के घरेलू उपचार:
*.विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
*.व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
*.खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
*.बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करनेमें मदद करता है।
*.खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
*.पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
*.नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
*.तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
*.नारियल पानी का सेवन अधिक करें
वजन घटाने स्वास्थ्य सुझाव
वजन घटाने स्वास्थ्य सुझाव
आटा भिगोते ही तुरंत इस्तेमाल
करना चाहिए वरना उसमे ऐसे रासायनिक
बदलाव आते है जो सेहत के लिए बहुत
हानिकारक हो सकते है . ऐसा आयुर्वेद में
स्पष्ट कहा गया है . इसलिए फ्रिज
का इस्तेमाल आटा रखने के लिए ना करे . कुछ
ही दिन में ऐसी आदत बन
जायेगी की जितनी रोटियाँ लगती है
उतना ही आटा भिगोया जाए और इसमें
ज़्यादा समय भी नहीं लगता . ताज़े आते
की रोटियाँ ज़्यादा स्वादिष्ट और
पौष्टिक होती है .
करना चाहिए वरना उसमे ऐसे रासायनिक
बदलाव आते है जो सेहत के लिए बहुत
हानिकारक हो सकते है . ऐसा आयुर्वेद में
स्पष्ट कहा गया है . इसलिए फ्रिज
का इस्तेमाल आटा रखने के लिए ना करे . कुछ
ही दिन में ऐसी आदत बन
जायेगी की जितनी रोटियाँ लगती है
उतना ही आटा भिगोया जाए और इसमें
ज़्यादा समय भी नहीं लगता . ताज़े आते
की रोटियाँ ज़्यादा स्वादिष्ट और
पौष्टिक होती है .
गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी
गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी
प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है।
गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है।
गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है
प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है।
गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है।
गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है
तोंद कम करने के 17 सरल उपाय
तोंद कम करने के 17 सरल उपाय
पेट के निचले भाग की चर्बी को ऐसे कम कर सकते हैं :
अनियमित और मसालेदार भोजन के अलावा आरामपूर्ण जीवनशैली के चलते तोंद / पेट के निचले भाग की चर्बी एक वैश्विक समस्या बन गई है जिसके चलते डायबिटीज और हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है। तोंद कई अन्य रोगों को भी जन्म देती है। इसके चलते व्यक्ति हमेशा शरीर में अच्छा फिल नहीं कर पाता।
कमर और पेट के आसपास इकट्ठा हुई अतिरिक्त चर्बी से किडनी और मूत्राशय में भी दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं। रीढ़ की हड्डी पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है और जिसके चलते आए दिन कमर दर्द और साइड दर्द होता रहता है। अगर आप तोंद से छुटकारा पाकर फिर से उसे पेट बनाने की सोच रहे हैं तो यहां दिए जा रहे हैं 17 ऐसे उपाय जिसे करने में आपको अतिरिक्त श्रम नहीं करना पड़ेगा। जरूरी नहीं कि सभी 17 उपाय आप आजमाएं। किसी भी एक उपाय को नियमित करें तो 1 माह में लाभ नजर आने लगेगा।
पेट के निचले भाग की चर्बी को ऐसे कम कर सकते हैं :
अनियमित और मसालेदार भोजन के अलावा आरामपूर्ण जीवनशैली के चलते तोंद / पेट के निचले भाग की चर्बी एक वैश्विक समस्या बन गई है जिसके चलते डायबिटीज और हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है। तोंद कई अन्य रोगों को भी जन्म देती है। इसके चलते व्यक्ति हमेशा शरीर में अच्छा फिल नहीं कर पाता।
कमर और पेट के आसपास इकट्ठा हुई अतिरिक्त चर्बी से किडनी और मूत्राशय में भी दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं। रीढ़ की हड्डी पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है और जिसके चलते आए दिन कमर दर्द और साइड दर्द होता रहता है। अगर आप तोंद से छुटकारा पाकर फिर से उसे पेट बनाने की सोच रहे हैं तो यहां दिए जा रहे हैं 17 ऐसे उपाय जिसे करने में आपको अतिरिक्त श्रम नहीं करना पड़ेगा। जरूरी नहीं कि सभी 17 उपाय आप आजमाएं। किसी भी एक उपाय को नियमित करें तो 1 माह में लाभ नजर आने लगेगा।
Saturday, 22 August 2015
कमर में दर्द
कमर में दर्द
कमर में दर्द ,घोर पीड़ा, टनटनाहट, उठने-बैठनेमें कष्ट, सुबह उठने परकमर दर्द ज्यादा होना, झुकने पर कमरदर्द का होना इत्यादि प्रमुख लक्षण है।
1.आप कुर्सी पर या जमीन परजब भी बैठे, सीधे सतर्क ही बैठें। सोने के लिए सख्त बिस्तर ही काम में लें।
2.एक चम्मच नींबू का रस,एक चम्मच लहसुन रस, दो चम्मच पानी सब मिलाकर दिन में दो बार पिये। कमर दर्द ठीक होगा।
3 सरसों का तेल सौ ग्राम देशी कपूर बीस ग्राम दोनों मिलाकर शीशी में भर दें कपूर गलने पर उस तेल की मालिश करें।
4. अदरक के रस में घी मिलाकर पिये कमर दर्द ठीकहोगा।
5.तीन-चार वर्ष पुराना मिर्च का आचार का तेल एक चम्मच कोई दूसरा तेल दस चम्मच मिलाकर किसीभी दर्द वाले स्थान पर मालिश करें।
6. मिट्टी के तेल से कमर पर रात को मालिश करें।दर्द ठीक होगा।
7.रात में 60 ग्राम गेहूं के दाने पानी में भिगो दें। सुबह गेहूं के भीगे हुए इन दानों के साथ 30 ग्राम खसखस तथा 30 ग्राम धनिये की मींगी मिलाकर बारीक पीस लें। इस चटनी को दूध में पका लें और खीर बना लें। इस आवश्यकतानुसार 10 -15 दिन तक खाने से कमर दर्ददूर होकर ताकत बढ़ती है। इससे पाचन शक्ति की कमजोरी भी मिटती है।
8.अजवायन को किसी साफ वस्त्र में लेकर उसकी पोटली बनाकर तवे पर गर्म करें तथा कमर पर उसका सेंक दें।
9.एक किलो सरसों के तेल में 250 ग्राम लहसुन की कली डालकर आग पर तब तक गर्म करें, जब तक कि लहसुन जल न जाए। इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और दिन में दो बार मालिश करें।
कमर में दर्द ,घोर पीड़ा, टनटनाहट, उठने-बैठनेमें कष्ट, सुबह उठने परकमर दर्द ज्यादा होना, झुकने पर कमरदर्द का होना इत्यादि प्रमुख लक्षण है।
1.आप कुर्सी पर या जमीन परजब भी बैठे, सीधे सतर्क ही बैठें। सोने के लिए सख्त बिस्तर ही काम में लें।
2.एक चम्मच नींबू का रस,एक चम्मच लहसुन रस, दो चम्मच पानी सब मिलाकर दिन में दो बार पिये। कमर दर्द ठीक होगा।
3 सरसों का तेल सौ ग्राम देशी कपूर बीस ग्राम दोनों मिलाकर शीशी में भर दें कपूर गलने पर उस तेल की मालिश करें।
4. अदरक के रस में घी मिलाकर पिये कमर दर्द ठीकहोगा।
5.तीन-चार वर्ष पुराना मिर्च का आचार का तेल एक चम्मच कोई दूसरा तेल दस चम्मच मिलाकर किसीभी दर्द वाले स्थान पर मालिश करें।
6. मिट्टी के तेल से कमर पर रात को मालिश करें।दर्द ठीक होगा।
7.रात में 60 ग्राम गेहूं के दाने पानी में भिगो दें। सुबह गेहूं के भीगे हुए इन दानों के साथ 30 ग्राम खसखस तथा 30 ग्राम धनिये की मींगी मिलाकर बारीक पीस लें। इस चटनी को दूध में पका लें और खीर बना लें। इस आवश्यकतानुसार 10 -15 दिन तक खाने से कमर दर्ददूर होकर ताकत बढ़ती है। इससे पाचन शक्ति की कमजोरी भी मिटती है।
8.अजवायन को किसी साफ वस्त्र में लेकर उसकी पोटली बनाकर तवे पर गर्म करें तथा कमर पर उसका सेंक दें।
9.एक किलो सरसों के तेल में 250 ग्राम लहसुन की कली डालकर आग पर तब तक गर्म करें, जब तक कि लहसुन जल न जाए। इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और दिन में दो बार मालिश करें।
Friday, 21 August 2015
शुगर का इलाज़
शुगर का इलाज़
1. लहसुन छिला हुआ २५ ग्राम
2. अदरक ५० ग्राम
3. पुदीना ५० ग्राम
4. अनारदाना खट्टा ५० ग्राम
इन चारो चीज़ो को पीसकर चटनी बना ले और सुबह,दोपहर,श्याम,एकएक चम्मच खा ले /
पुरानी से पुरानी शुगर ठीक हो जाएगी यहाँ तक जिस मरीज़ को शुगर की वजह से जिस्म भी काटने को कहा हो उसके लिए भी यह चटनी फायेदमंद है
1. लहसुन छिला हुआ २५ ग्राम
2. अदरक ५० ग्राम
3. पुदीना ५० ग्राम
4. अनारदाना खट्टा ५० ग्राम
इन चारो चीज़ो को पीसकर चटनी बना ले और सुबह,दोपहर,श्याम,एकएक चम्मच खा ले /
पुरानी से पुरानी शुगर ठीक हो जाएगी यहाँ तक जिस मरीज़ को शुगर की वजह से जिस्म भी काटने को कहा हो उसके लिए भी यह चटनी फायेदमंद है
बेहद सरल नुस्खे मोटापा कम करने के लिए
बेहद सरल नुस्खे मोटापा कम करने के लिए
आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे जो आपके पाचन तंत्र को सदा दुरुस्त रखने में बेहद मददगार होते हैं..
1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गरम पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।
आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे जो आपके पाचन तंत्र को सदा दुरुस्त रखने में बेहद मददगार होते हैं..
1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गरम पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।
2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के लेने
से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।
3. भोजन में पतले एवं हलके व्यंजनों का प्रयोग करने से खाया हुआ जल्दी पच जाता है, जिससे जल्दी ही भूख लग जाती है।
4. खाना खाने के बाद अजवायन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होगी।
5. भोजन के बाद हिंग्वष्टक चूर्ण एक चम्मच खाने से पाचन-क्रिया ठीक होगी।
6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर सिलबट्टे पर पीसकर बनाई चटनी खाने से भोजन की इच्छा फि र से उत्पन्न होती है।
7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।
8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर आरोचकता दूर होती है।
9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।
10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।
से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।
3. भोजन में पतले एवं हलके व्यंजनों का प्रयोग करने से खाया हुआ जल्दी पच जाता है, जिससे जल्दी ही भूख लग जाती है।
4. खाना खाने के बाद अजवायन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होगी।
5. भोजन के बाद हिंग्वष्टक चूर्ण एक चम्मच खाने से पाचन-क्रिया ठीक होगी।
6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर सिलबट्टे पर पीसकर बनाई चटनी खाने से भोजन की इच्छा फि र से उत्पन्न होती है।
7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।
8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर आरोचकता दूर होती है।
9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।
10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।
मधुमेह का सरल और अचूक उपचार
मधुमेह (SUGER) का सरल और अचूक उपचार
25 ग्राम लहसुन
25 ग्राम अदरक
50 ग्राम हरा पौदीना
50 ग्राम अनारदाना
इन सबको मिलाकार चटनी बना ले और रोज खाने से पहले एक चमच्च ले,15 दिन में आपको फर्क पता चल जाएगा ।
यह प्रयोग अब तक सफल रहा है और हानिरहित हैं ।
25 ग्राम लहसुन
25 ग्राम अदरक
50 ग्राम हरा पौदीना
50 ग्राम अनारदाना
इन सबको मिलाकार चटनी बना ले और रोज खाने से पहले एक चमच्च ले,15 दिन में आपको फर्क पता चल जाएगा ।
यह प्रयोग अब तक सफल रहा है और हानिरहित हैं ।
वजन घटाने में दूध के साथ हल्दी फायदेमंद
वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।-
अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.-
दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.-
खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है.-
पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.-
मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूरहोते ह
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